9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के दिन ग्राम पंचायत *मचली (उड़ीदगांव) में बुमयार हासपेन आसरु (डोरा) मरकाम की स्मृति में चौक का नामकरण* किया गया।।।
आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर में नार्र सरचना जिसमे परम्परा रूड़ी गत्त (5 वी अनुसूची रूढ़ी जन्य क्षत्र) भाषा बोली संस्कृति को बचाए रखने वाली बातें बुजुर्गों के द्वारा बताया गया सभी गोंडवाना भू भाग की समस्त सर्व आदिवासी समाज एवं भू भाग की जीव जगत को आदिवासियों के जीवन मूल्य,कला,भाषा,उत्सव, परंपराएं,नृत्य एवं आदिवासी महापुरुष देश एवं प्रदेश की अमूल्य धरोहर है।*
आदिवासी समुदाय संघर्ष और स्वाभिमान के साथ जीवन जीने में विश्वास रखता है।
आदिवासी सिर्फ एक समुदाय ही नहीं, हमारे पूर्वज की संस्कृति और प्रकृति के प्रतीक है। आइए इसको समझें, सहेजें और संरक्षण दें।
दुनिया भर की सभी आदिवासी जल, ज़मीन और जंगल की संरक्षक हैं जो पूरे विश्व के अनमोल प्राकृतिक संसाधन हैं। आदिवासी प्रकृति और प्रकृति के नियमों को देवता के रूप में आदिकाल से पूजते आ रहे हैं।
*आज की कार्यक्रम मे गांव के प्रमुख सियानो द्वारा कहा गया जल, जंगल, जमीन के आलावा यह सुनिश्चित करें कि आर्थिक सामाजिक विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, संस्कृति, पर्यावरण मे भी ध्यान देना चाहिए।*
आज के कार्यक्रम में उपस्थित ग्राम प. सरपंच कृषलाल मरकाम, पूर्व सरपंच तिरु. सखाराम, शीतला पुजारी तिरु. सेवक राम, तिरु. हरिश्चंद्र मरकाम (शिक्षक ) तिरु. सीताराम मरकाम (शिक्षक, ग्राम युवा संरक्षक ),युवा प्रभाग अध्यक्ष तिरू. सुधरन मरकाम, सचिव तिरु. फूलदास व साधुराम, केशनाथ , तुलसी, बालसिह, सुधरण, जयसिह ,गीतेश सुनील, महेश, ईश्वर, मनसुक, दिनेश, पुलिसराम, संदीप, अर्जुन, संजय,अरुण,विजय, कमलेश, दिपक,नेपाल, अमन, एवं समस्त ग्रामवासी बुद्धिजीवी उपस्थिति थे।।।।
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