

प्रदेश में भाजपा सरकार के आने बाद मदिरा प्रेमियों के लिए अहाता का निर्माण करवाया जा रहा है ताकि मदिरा प्रेमी कहीं खुले में बैठकर शराब का सेवन न करें व शराब की बोतल अन्य जगहों पर ना खुले में पड़े रहे है जिसे देखते हुए सरकार ने नई शराब नीति के तहत अहाता का टेंडर निकाला है जहाँ शराब बैठकर पी सके!
जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग को 11 हज़ार करोड़ रुपए का राजस्व वसूली का टारगेट है।लेकिन इन सब के बीच आबकारी विभाग ने ठेकेदारों/अहाता संचालक की जेब भरने आहता निर्माण के टेंडर में गजब खेला किया है। इसमें आबकारी विभाग की न समझी कहे या लापरवाही क्योंकि पूरे छत्तीसगढ़ में देशी व विदेशी शराब की दुकान अगल बगल में ही है। विभाग ने दुकान में कमाई के हिसाब से टेंडर तो निकाला मगर टेंडर में कहीं देशी अहाता का कम धन राशि का टेंडर है तो कहीं ज्यादा उसी प्रकार विदेशी अहाता का भी इसी प्रकार से टेंडर निकाला गया है।समझें आबकारी विभाग का पूरा खेला, कैसे 2 लाइसेंस से पहुंचा रहे निजी संचालकों को लाभ
इन सब में गौर करने वाली बात यह है कि जब दोनों मदिरा दुकान एक ही जगह पर स्थित है तो अलग अलग अहाता टेंडर की राशि क्यों।उदाहरण के तौर पर कोंडागांव जिले में देशी मदिरा दुकान में अहाता के लिए 149000 रुपए आरक्षित राशि निर्धारित की गई जबकि विदेशी मदिरा दुकान में 22 लाख 90 हज़ार रुपए आरक्षित राशि है।अब विभाग की सोची समझी साजिश के तहत अलग अलग लाइसेंस की विवादित खेल से ठेकेदारों/निवैदादाताओं को ही लाभ पहुंचना निश्चित है चूंकि ज्यादातर टेंडर 1 लाख 49 हज़ार वाले भरे जाएंगे और 22 लाख की आरक्षित राशि वाले अहाता के टेंडर पर निविदा कम होगी जिससे सिर्फ सरकार को ही राजस्व में भारी नुकसान होना है।बाकी समस्त जिलों में इसी क्रम में करोड़ों अरबों में निविदा निकाल कर मदिरा प्रेमियों को अलग अलग वर्ग में बांट कर पूरे राज्य में सिर्फ अपने चहीते ठेकेदारों की जेब भरने की साजिश लगभग तय है।मदिरा दुकानों में होगी विवाद की स्थिति
विभागीय सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मदिरा दुकान में अलग अलग अहाता के लाइसेंस से दोनों जगहों पर विवाद की स्थिति बढ़ जाएगी और भविष्य में इसे संचालन करना तक मुश्किल हो जाएगा।
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