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जागरुकता कार्यक्रम और सिकलसेल स्क्रीनिंग का किया गया आयोजन जेनेटिक कार्ड तथा पौष्टिक आहार का किया गया वितरण

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▶️ जागरुकता कार्यक्रम और सिकलसेल स्क्रीनिंग का किया गया आयोजन

▶️ जेनेटिक कार्ड तथा पौष्टिक आहार का किया गया वितरण

 

विश्व सिकलसेल दिवस के अवसर पर बुधवार 19 जून को पूरे जिले में जागरुकता कार्यक्रमों के आयोजनों के साथ ही सिकलसेल की स्क्रीनिंग की गई। मुख्य कार्यक्रम जिला कार्यालय के प्रथम तल स्थित सभाकक्ष में आयोजित की गई।

जिला पंचायत के अध्यक्ष श्री देवचंद मातलाम, उपाध्यक्ष श्रीमती भगवती पटेल, सदस्य श्री बालसिंह बघेल, कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अविनाश भोई ने छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर जेनेटिक कार्ड के वितरण के साथ ही पौष्टिक आहार का वितरण भी किया गया।

इस अवसर पर जिला पंचायत के अध्यक्ष श्री देवचंद मातलाम ने कहा कि सिकलसेल और एनीमिया जैसे रोगों पर नियंत्रण के माध्यम से ही स्वस्थ जीवन का आनंद प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन रोगों के कारण लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिसका दुष्परिणाम जिले के विकास पर भी पड़ता है। इन रोगों पर नियंत्रण के लिए जागरुकता अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एनीमिया के कारणों में एक कारण खानपान की आदतों में बदलाव भी शामिल है। अतः एनीमिया से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। उपाध्यक्ष श्रीमती भगवती पटेल ने कहा कि स्कूल, आश्रम-छात्रावास के अध्ययरत सभी बच्चों का स्क्रीनिंग करते हुए आवश्यक उपचार का सुझाव दिया।

शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग का लक्ष्य किया जा चुका है हासिलरू श्री दुदावत

कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत ने कहा कि सिकलसेल दिवस के अवसर पर सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ही हेल्थ एंड वेलनेस केन्द्रों में भी जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सिकलसेल की जांच के साथ ही मरीजों को उपचार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिकलसेल के रोगियों की पहचान और उपचार अत्यंत आवश्यक है, इसलिए जिले में 40 वर्ष से कम आयु के सभी लोगों के सिकलसेल की जांच का लक्ष्य कोंडागांव में हासिल किया जा चुका है तथा अब जेनेटिक प्रमाण पत्र भी वितरित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिकलसेल के साथ एनीमिया हो तो, अत्यंत घातक स्थिति निर्मित होती है। जिले में एनीमिया पर नियंत्रण का कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इसके तहत 40 वर्ष से कम आयु की गर्भवती और शिशुवती महिलाओं के साथ ही किशोरी बालिकाओं के एनीमिया की जांच भी की जा रही है तथा दूसरे चरण की जांच भी इस माह प्रारंभ होगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के एनीमिक होने पर आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि विकसित और अग्रणी कोंडागांव बनाने के लिए आवश्यक है कि सभी कोंडागांववासी स्वस्थ रहें तथा इस दिशा में जिला प्रशासन लगातार कार्य कर रही है।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह, आदिवासी विकास विभाग की उपायुक्त डॉ रेशमा खान, जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरसी ठाकुर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती भावना महलवार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।