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23/12/2024

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गायता ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम में शामिल हुए देवचन्द मतलाम जी अध्यक्ष जिला पंचायत कोंडागांव साथ में 5 लाख का सामाजिक शेड का भूमि पूजन ।

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केशकाल -केशकाल विकासखंड के ग्राम अड़ेंगा में गायता ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देवचन्द मतलाम जी अध्यक्ष जिला पंचायत कोंडागांव रहे , साथ मेंअड़ेंगा परगना के अध्यक्ष शिवराम मरकाम साथ में महेंद्र नेताम अध्यक्ष ज प केशकाल राजेश नेताम balck अध्यक्ष केशकाल ओमप्रकाश मरकाम (सरपंच)गोमा शोरी खिलेश्वर शोरी जिला अध्यक्ष किसान कांग्रेस कोंडागांव सरपंच गण :- सुमरन शोरी सरीदा नाग तकेश शोरीप्रेम सागर नाग चिंता नेताम रति नेताम पटेल व अन्य समाज प्रमुख शामिल हुए। ..इस कार्यक्रम में हजारों की भीड़ उपस्थित हुई। सर्वप्रथम ग्रामवासियों व निकटस्थ अंचल से आए लया लयोर, ग्राम के पटेल, गांयता व पुजारी के उपस्थिति में सेवा अर्जी करके जोहारनी का शुभारंभ किया गया। विदित हो कि सदियों से चली आ रही परम्परा के अनुसार पुनांग पण्डुम के दिन नये अन्न को इष्ट देव बुढ़ादेव को अर्पित करने के पश्चात पूरे कुटुंब परिवार के समस्त लोग एक जगह एकत्रित होकर नये अन्न से बने चिवड़ा, रोटी व अन्य पकवान एक घर में बैठकर सारे लोगों के द्वारा ग्रहण किया जाता है तथा दूसरे दिन गांव के समस्त लोग आपस में गले मिलकर व बड़ों के चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेते हैं।

देवचन्द मतलाम जी ने अपने उद्बोधन में कहा की आज जिस तरह से यह भीड़ उमड़ पड़ी हैं इससे यह साफ जाहिर हो रहा हैं की आज भी हमारी संस्कृति बरकरार हैं शिक्षा का महत्व और जल जंगल जमीन को बचाने की अपील किए मतलाम जी, अड़ेंगा परगन के 24 गांव और अन्य परगना के भी समाज प्रमुख लोग शमिल हुए , इस तरह हमारे पूर्वजों के द्वारा चलती आ रही पावन अवसर को कभी पीछे की ओर नहीं करना हैं हम बस्तरवासियों के लिए ऐसे पारम्परिक त्यौहारों को बरकरार रखकर अपने नये पीढ़ी एवं आने वाले भविष्य के लोगों को इससे परिचित कराते रहना चाहिए ताकि किसी भी स्थिति में हमारी परम्परा को नहीं भूलना चाहिए आज आप लोगों की साथ और एकता का यही एक मिसाल दिख रहा हैं जो की हजारों की संख्या में आज मौजूद हैं।*

आपको बता दें कि पुनांग पंडुम के बाद ठाकुर जोहारनी में विभिन्न प्रकार के नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें हुल्की नृत्य, मांदरी नृत्य व गुट्टा मांदरी नृत्य , सहित रेला नृत्य किया गया जहां पर रेला नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।*